तुम्हारे नाम की नहीं

 

दुसरो का नाम लेकर, साँसों को कुछ पल रोक कर…
दिल को समझा दे रहे है की…
ये हिचकियाँ तुम्हारे नाम की नहीं

आँखों को बार बार रगड़ मसल कर…
दिल को समझा दे रहे है की…
ये आंसू तुम्हारे नाम के नहीं

चढ़ती उतरती धड़कनो को काबू करके…
दिल को समझा दे रहे है की…
ये बेचैनी तुम्हारे नाम की नहीं

सोचते है बहुत, जब कभी अकेले होते है…
की सीख ली धोखेबाज़ी हमने आखिर

अपने आप को धोखा देकर दिल को ये समझा रहे है की…
इसकी वजह तुम्हारे नाम की नहीं

अपने ही अंदर मशाल लिए ढूंढ़ते फिरते है अपने आप को…
पर मिलते है सिर्फ तुम्हारी यादों के निशान…

और हम दिल को ये समझा दे रहे है की…
ये यादें तुम्हारे नाम की नहीं….